Savitribai Phule
Lets know the works and achievements of Savitribai Phule:
1. Savitribai Phule’s full name was Savitribai Jotirao Phule.
2. Savitribai Phule was born on January 3, 1831.
3. Savitribai Phule was an Indian social reformer, educationist and poet.
4. Savitribai’s husband’s name was Mahatma Jyotirao Phule.
5. Savitribai is considered to be the first female teacher of India.
6. Savitribai and her husband established the Bhidewadia Girls’ School in Pune in 1848.
7. Savitribai, along with her husband Mahatma Jyotirao Phule, played an important role in improving women’s rights in India.
8. Savitribai also worked a lot to eliminate discrimination and unfair treatment on the basis of caste and gender.
9. Savitribai’s birthday, January 3, is celebrated as Girl Child Day and Women’s Liberation Day in Maharashtra.
10. When there was an outbreak of plague in 1897, she worked for the infected, in the same sequence, Savitribai Phule also came under the grip of plague, due to which he died on 10 March 1897.
सावित्रीबाई फुले: देश की पहली महिला शिक्षिका
3 जनवरी को सावित्रीबाई फुले की जयंती के अवसर पर, जानें सावित्रीबाई फुले के कार्य और उपलब्धियां ।
१. सावित्रीबाई फुले का पूरा नाम सावित्रीबाई जोतिराव फुले था ।
२. सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी , 1831 को हुआ था ।
३. सावित्रीबाई फुले एक भारतीय समाज सुधारक, शिक्षाविद् और कवियित्री थीं ।
४.सावित्रीबाई के पति का नाम महात्मा ज्योतिराव फुले था ।
५.सावित्रीबाई को भारत की पहली महिला शिक्षिका माना जाता है ।
६.सावित्रीबाई और उनके पति ने 1848 में पुणे में भिड़ेवाडिया गर्ल्स स्कूल की स्थापना की ।
७.सावित्रीबाई ने अपने पति महात्मा ज्योतिराव फुले के साथ, भारत में महिलाओं के अधिकारों में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
८.सावित्रीबाई ने जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव और अनुचित व्यवहार को खत्म करने के लिए भी काफी काम किया ।
९.सावित्रीबाई के जन्मदिन 3 जनवरी को महाराष्ट्र में बालिका दिवस और महिला मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है।
१०.जब 1897 में प्लेग का प्रकोप हुआ , तो उन्होंने संक्रमितों के लिए काम किया, इसी क्रम में सावित्रीबाई फुले भी प्लेग की चपेट में आ गईं जिसके वजह से 10 मार्च 1897 को उनकी मृत्यु हो गई ।