संथाल जनजाति – Santhal Tribe

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संथाल जनजाति (Santhal Tribe):

सामान्य परिचय

जनसंख्या की दृष्टि से संथाल जनजाति झारखंड की सबसे बड़ी जनजाति है जो झारखण्ड की कुल जनजाति का 35% प्रतिशत है। यह भारत की तीसरी (पहला-गोड़, दूसरा-भील) सर्वाधिक जनसंख्या वाली जनजाति है।

झारखण्ड में निवास स्थल

ये मुख्य रूप से संथाल परगना प्रमंडल एवं धनबाद, बोकारो, गिरिडीह,  हजारीबाग, चतरा, कोडरमा, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम जिले में निवास करते हैं। राजमहल पहाड़ी क्षेत्र मे संथालो के निवास स्थान को दामिन-ए-कोह कहा जाता है। झारखण्ड मे प्रवेश से पूर्व इनका निवास स्थान पश्चिम बंगाल मे था जहाँ उन्हें साओतार के नाम से जाना जाता है।

उल्लेखनीय लोग

द्रौपदी मुर्मू-भारत की वर्तमान राष्ट्रपति , शिबू सोरेन- राजनेता और पूर्व मुख्यमंत्री,  बाबूलाल मरांडी- राजनेता और पूर्व मुख्यमंत्री, रघुनाथ मुर्मू- ओलचिकि लिपि आविष्कारक, साहित्यकार, सिद्धू-कान्हू मुर्मू- स्वतंत्रता सेनानी, तिलका मांझी- स्वतंत्रता सेनानी

संस्थापक पिता

संथालो के संस्थापक पिता लुगू बुरू को माना जाता है।

प्रजातीय समूह एवं भाषा परिवार

इनका संबंध प्रोटो-ऑस्ट्रेलायड प्रजातीय श्रेणी और ऑस्ट्रो-एशियाटिक भाषायी परिवार के निकट हैं।

भाषा

संथाल जनजाति के लोग संथाली भाषा बोलते हैं और संथालो के इस भाषा को संसद के 92वां संविधान संशोधन, 2003 के तहत संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया है। संथाल विद्वान पंडित रघुनाथ मुर्मू ने इसे ओलचिकी लिपि नामक लिपि में लिखा है।

वर्गीकरण

संथाल जनजाति 4 हड़ो (वर्गो) मे वर्गीकृत है: किस्कू हड़- राजा, सोरेन हड़- सिपाही, मरूड़ी हड़- कृषक, मुरमू हड़- पुजारी।

युवागृह

संथाल जनजाति के युवागृह को घोटुल कहलाता है और घोटुल का संचालन जोगमाँझी करता है। युवागृह:(युवक-युवतियों के शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए महत्वपूर्ण सामाजिक संस्था है, जहाँ युवक-युवतियों को गीत-संगीत, नृत्य, शिकार एवं रीति-रिवाजों व परम्पराओं का शिक्षण-प्रशिक्षण दिया जाता है।)

गोत्र

इस जनजाति के गोत्रों की कुल संख्या 12 है।

विवाह पध्दति

संथाल जनजाति के विवाह को बापला कहा जाता है। ये अंतर्विवाही जनजाति है और इनके बीच समगोत्रीय विवाह वर्जित है। इनका सर्वाधिक प्रचलित विवाह किरिंग बापला है जो माता-पिता द्वारा मध्यस्थ के माध्यम से किया जाता है। वधु-मूल्य पोन कहलाता है तथा इनमें बाल विवाह का प्रचलन नहीं है। इस जनजाति की कुछ और विवाह पद्धतियां है जैसे: किरिंग जबाई, इतुत, निर्बोलक, टुनकी दिपिल बापला, घर दी जमाई, सेवा विवाह आदि

आर्थिक व्यवसाय

जीवन निर्वाह के दृष्टिकोण से देखा जाए तो संथाल जनजाति कृषि कार्य करते हैं और उनमे विभिन्न प्रकार के बर्तनों का चित्र बनाने की कला का प्रचलन है, जिसे काॅम्ब-कट चित्रकला कहा जाता है।

प्रमुख पर्व

एरोक (बीजारोपण के अवसर पर), बा-परब/सरहुल (फूलों का त्योहार), सोहराय (जानवर धन) बाहा, माघसिम, सकरात आदि है।

राजनीतिक शासन व्यवस्था

संथाल जनजाति की शासन व्यवस्था मांझी परगना शासन व्यवस्था कहलाती है। संथाल परगना में प्रत्येक गाँव की एक पंचायत होती है जिसका प्रधान मांझी कहलाता है जिसके पास प्रशासनिक एंव न्यायिक अधिकार होता है और मांझी की अनुपस्थिति में उसके कार्यों का संचालन पराणिक/प्रानीक करता है उसे उप-मांझी कहते हैं मांझी का सहायक जोगमाँझी कहलाता है। संथाल परगना में 15-20 गाँवों को मिलाकर एक परगना का निर्माण किया जाता है और उसका प्रमुख परगनैत या नायक कहलाता है। संथाल समाज मे यौन अपराध के लिए अपराधी को समाज से बहिष्कृत कर सबसे कठोर सजा  जिसे बिटलाहा कहते हैं।

धार्मिक व्यवस्था

संथाल जनजाति के सर्वप्रमुख देवता सिंगबोंगा या ठाकुर (सृष्टि का रचियता) हैं और मरांग बुरू उनका दूसरा प्रमुख देवता है। ग्राम प्रधान देवता जिसे जाहेर-एरा के नाम से जाना जाता है जिनका स्थान सखुआ या महुआ के पेड़ों के झुरमुट के बीच होता है जो जाहेर थान कहलाता है। संथाल जनजाति का धार्मिक प्रधान को नायके कहलाता है।

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  1. संथाल संगीत व नृत्य के बड़े ही प्रेमी होते हैं। बंसी, ढोल, नगाड़े, केन्दरा (वॉयलिन) इत्यादि इनके प्रमुख वाद्य यंत्र है।जादोपटिया चित्रकला, भारत में संताल और भूमिज जनजाति की एक परंपरिक लोक चित्रकला शैली है, जो इस समाज के इतिहास और दर्शन को पूर्णतः अभिव्यक्त करने की क्षमता रखती है।
  2. संथालों का प्रमुख तीर्थस्थल लुगुबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ है, जो बोकारो जिले के ललपनिया में स्थित है।

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FAQs

संथाल जनजाति के संस्थापक कौन हैं?

संथालो के संस्थापक पिता लुगू बुरू को माना जाता है।

झारखंड में संथाल जनजाति का जनसंख्या कितनी है?

संथाल जनजाति झारखंड की कुल जनसंख्या का लगभग 35% है।

संथाल लोग किस भाषा में बात करते हैं, और यह किस संविधान की अनुसूची में शामिल है?

संथाल लोग संथाली भाषा में बोलते हैं, और यह संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल है।

संथाल जनजाति में कितने गोत्र हैं?

संथाल जनजाति में कुल 12 गोत्र हैं।

संथाल जनजाति द्वारा मनाए जाने वाले मुख्य त्योहारों का नाम बताएं।

संथाल जनजाति द्वारा मनाए जाने वाले मुख्य त्योहारों में एरोक (बीजारोपण के अवसर पर), बा-परब/सरहुल (फूलों का त्योहार), सोहराय (जानवर धन) बाहा, माघसिम, सकरात आदि शामिल हैं।

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